पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
लाइफस्टाइल यूटिलिटी न्यूज़ट्रैवलजनरल नॉलेजफैशनऐग्रकल्चरहेल्थ
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती here है.
Comments on “The Definitive Guide to sidh kunjika”